शिव आराधना पर शायरी, पूजा के हर अवसर पर काम आती है। श्रद्धा में मगन होकर हर एक बस महादेव को याद करना चाहता है।  

हर पर्व एवं उत्सव को महादेव पर शायरी भक्ति भावना से भरकर चार चाँद लगा देती है।

इसलिए मैंने इस संकलन में God Prayers In Hindi के साथ-साथ शिव की महिमा पर कविताएं शामिल की हैं, जिन्हें आप कभी भी Share कर सकते हैं।

शिव आराधना पर शायरी | Rhymes To Feel The Inner PEACE

आइए शिव आराधना पर whatsapp status पढ़ना शुरू करते हैं –

1.

जिनका आदि ना अन्त

स्वयंभू शिवशंकर कहलाते

जिनकी महिमा अनन्त

जन -जन में वो पूजे जाते

 

 

2.

देवों के वो देव हैं
इसीलिये महादेव हैं
शिवशंकर हैं अन्तर्यामी
सारे जग के हैं वो स्वामी

 

 

3.

पवित्र ज्ञान का देते सन्देश
शांत स्वभाव वाले
शिवशंकर भोले भाले
सारे जग के रखवाले

 

 

4.
तन पर भस्म लगाते
नंदी की करते सवारी
सदा प्रसन्न रहने वाले
शिवशंकर भोले भाले 

 

5.

ॐ नमः शिवाय का
जो मन्त्र जापें सुबह -शाम
शिव प्रसन्न हो जाते हैं
बना देते हैं बिगड़े काम

 

6.

शिव ही सत्य
शिव ही आदि
शिव ही अनन्त
शिव ही भगवंत

 

 

7.

ओंकार हैं शिव
शिव ही हैं ब्रहम
शिव जहाँ शक्ति वहाँ
प्रेम वहाँ शिव जहाँ

 

8.

शिव ईश हैं अंतरिक्ष के
नाम उनका है व्योमकेश
प्रेम से उनका नाम भजें तो
मिट जाते हैं द्वेष क्लेश

 

9.

जिसे ना हो मोह
ना ही हो माया
उनके सर पर सदा ही
रहती है शिव की छाया

 

 

10.
ब्रह्मा विष्णु जिनका नाम हैं जपते
वह शिवशंकर हैं अविनाशी
रिद्धि -सिद्धि के हैं वो दाता
आनंदित सदा सुखराशी

 

11.
शीश गंग अर्धांग पार्वती
सदा विराजे कैलाशी
शीतल मंद सुगंध पवन बहे
बैठे हैं शिव अविनाशी

 

12.

शशि का मुकुट पहनने वाले
गले में नागों की माला डाले
शिव जग के हैं रखवाले
गौरा के संग रहने वाले

 

 

13.

जल, थल और गगन में
इस जीवन के कण कण में
शिव हैं हर दिल में बसते
सदा प्रसन्न हैं वो रहते

 

 

14.

सबका मन हर्षित है होता
शिव भक्तों से मिल के
शिव -शिव का ही नाम वो बोलें
कानों में अमृत रस घोलें

 

 

15.

गँवा रहा माया में फंसकर
प्राणी अपना जीवन अनमोल
अब तो ऑंखें खोल
बन्दे अब तो ऑंखें खोल

 

 

16.

अपने मुँह से शिव नाम बोलो

सच्चे साथी हैं शिव तेरे 

शिव की भक्ति में है शक्ति

मिल जाती पापों से मुक्ति

 

 

17.

फँसा जा रहा मानव माया में
यहाँ हर घड़ी लगा जगत का मेला
शिव नाम के बिना रे मानव
रह जायेगा तू अकेला

 

 

18.

जगहित घोर हलाहल पीकर
बने सदाशिव नील कंठवर
नमः शिवाय मन्त्र पंचाक्षर
जपत मिटत सब क्लेश भयंकर

 

 

19.
डम- डम डमरू वाला
बड़ा ही है मतवाला
खाये भाँग धतूरा
पीये विष का प्याला

 

20.

अर्धनारिश्वर अवतार लेकर
शिव ने स्त्रियों का सम्मान किया
स्त्री- पुरुष की समानता का
जग को ये संदेश दिया

 

 

21.

सब देवों में प्रथम पूज्य हैं
महाकाल भोले भंडारी
तुम्हें पूजते ऋषि मुनि सब
तुम्हारी मूरत अति प्यारी

 

 

22.
शिव भाव के भूखे हैं
संतोषी कहलाते हैं
एक लोटा भी जल जो चढ़ाते
अपरम्पार खुशियाँ हैं पाते

 

23.
वो देवों के देव हैं
श्री राम जी के पूज्य हैं
श्री राम जी के सुनते भजन
हरपल शिव रहते मगन

 

24.

आशुतोष तुम औघढ़ दानी
नहीं कोई देव तुम सम मानी
भस्मासुर को वर दिया ऐसा
माँगन चला वह तुमरी रानी

 

 

25.

बेल पत्र कोई जल ही चढ़ाते
इतने में शिव हर्षित हो जाते
रौद्र रूप भी कभी दिखाते
शिव प्रसन्न भी पल में हो जाते

 

 

26.

जब कोई मिलता नहीं सहारा
महादेव का एक नाम आधारा
संग में जिनके पार्वती सोहे
पार्वती के तुम जीवन धारा

 

 

27.

शिव का तांडव बड़ा डराता
पर थोड़े में शिव मान जाता
कहलाते हैं त्रिपुरारी
तीनों लोक में जय -जय कारी

 

 

28.

दक्ष प्रजापति होवे नाराज
तुमरे रूप की माया देख
यज्ञ कुंड में कूदी सती रानी
फिर तुमने भंग किया यज्ञ मनमानी

 

 

29.

सुखी गृहस्थी देख तुम्हारी
हर कोई होये सुखदायी
अपने को ऐसा रूप भाया
पार्वती ने शिव को पाया

 

 

30.

गलत कृत्य पर ब्रहम सिर काटा

फिर भागे शिव इधर -उधर

ब्रहम सिर जुड़ा हथेली पर

ब्रहम कपाल में छूटा वह सर

 

 

 

31.

निर्धन को बनाते राजा
सब जगह होती तुम्हारी चर्चा
हाथ में लिये डमरू डम -डम
सर पर विराजे चंद्र चमचम

 

 

32.
होती मेरी सुबह लेकर तेरा नाम
याद करूँ भोले तेरा नाम
मुझे आस बस एक तेरी
कामना पूर्ण करो भोले मेरी

 

33.

शिवशंकर डमरू वाले
मांथे पर त्रिनेत्र वाले
सबके मन में आता है
हो जायें शिव के हवाले

 

 

34.

गौरा के प्यारे, शिव के दुलारे
हुये दो लाल गणेश और कार्तिक
जिन्हें पूजें सभी जन
चाहे हो कितने ही नास्तिक

 

 

35.

घर -घर शिव हैं बसें
पूजा करते हम
किसी को ज्यादा ना देते
ना ही देते कम

 

36.
शिव का रौद्र रूप डराता है
इससे ही तो मानव सही रास्ते पर आता है
प्रकृति है उनकी दासी
वो जा बसे हैं काशी

 

37.

विश्वनाथ के शिव जी देखे
देखे शिव जी वन -वन में
हर प्राणी में वो हैं बसते
वो बसते हैं सबके मन

 

38.

कितने नाम धरोगे
जटाधर, गंगाधर, त्रिशूलधारी
हमको बतलाओ हे सदाशिव
हे भोले त्रिपुरारी

 

39.

सारे देव पहने मुकुट
शिव पहने चंद्रभागा
सारे देव महल में रहते
कैलाश में हैं शिव जी बसते

 

40.

जिन्दगी में जो गमों का जहर है
विष पीने वाले शिव तुम किधर हो
ना तुझ सा दयालु कोई और है भोले
जो ठुकरा दें अमृत, पीयें विष के प्याले 

 

41.

अनुपम, अतुलनीय, मनमोहक
शिव का है रूप निराला
जिसको है शिव का सहारा
वो भक्त कभी नहीं हारा

 

42.
त्रिनेत्र धारी शिव
ज्ञान का बोध कराते
पवित्रता, ज्ञान और शांति का
संदेश देते जाते

 

43.

शिव का रूप बड़ा है प्यारा
चेहरा जिनका है भोला भाला
जिन्हें भी आती है मुसीबत
उन्हें शिवशंकर ने ही है सम्हाला

 

44.

गुरु- शिष्य की परम्परा
की शिव ने की शुरुवात
राम जैसे शिष्य मिले थे उनको
पूजते रहते जो सदा ही शिव को

 

 

45.
वो अजन्मा हैं
जिनका आदि ना अन्त
आदिदेव हैं वो कहलाते
सबके मन को हैं वो भाते 

 

46.
शिव के हैं अनेकों रूप
हर रूप में लगते प्यारे
चाहे उन्हें जिस रूप में पूजो
शिव बाबा लगते न्यारे

 

47.
सबका भरोसा है तुम पर ही
तुम ही हो सबका सहारा
त्रिलोक के हो तुम स्वामी
तुम सबके तारणहारा

 

48.

शिवलिंग में विराजें तीनों देव
ब्रह्मा, विष्णु और महेश
शिवलिंग में जल चढ़ाने से
भक्तों के मिट जाते हैं क्लेश

 

49.

शिव सा कृपालु ना कोई
जो ठुकरा दें अमृत को
पीयें हलाहल के प्याले
बाबा शिव भोले भाले

 

50.
सबके आराध्य देव
महादेव है उनका नाम
तीनों लोकों के वो स्वामी
बिगड़ी बनाना उनका काम

 

51.

जिनका है रूप निराला

चेहरा जिनका भोला -भाला

जिन्हें भी आती है मुसीबत

उन्हें शिव ने ही सम्हाला

 

 

52.
एक कर में त्रिशूल
दूजे में डमरू विराजे
गले में जिनके नागों की माला
शीश में उनके चंद्र हैं साजे

 

53.

गौरा के प्यारे, शिव के दुलारे
हुये दो लाल गणेश और कार्तिक
जिन्हें सदा पूजते हैं जन -जन
चाहे कोई कितने हों नास्तिक

 

54.
सबसे बड़ा है शिव का मन्त्र
नाम है उसका महामृत्युंजय
यह मन्त्र है प्रभावशाली
जिसने भी जपा उसकी विपदा टाली

 

55.

भोले बाबा का वन्दन करना आसान
इन्हें जल चढ़ाने से होता है कल्याण
ये भाँग धतूरा खुश होकर हैं खाते
कोई मेवा छप्पन भोग इन्हें ना भाते

 

56.

शंकर की जटा में बहती है गँग धारा
मेरा आज भी तू, मेरा कल भी तू
भोले के मस्तक पर चंद्र है निराला
डमरू त्रिनाद बाजे,कर में त्रिशूल डाला

 

57.

शिव ने जब धरा को बचाया
तब उन्होंने त्रिसूल को उठाया
लाचारी को दूर भगाया
जग में उजियाला फैलाया

 

 

58.

देव और दानव दोनों ही
मानते हैं शिवशंकर को
दोनों ही हैं शिव को भजते
दोनों को ही शिव वर देते

 

59.

सबसे बड़ा है शिव का नाम
सृष्टि को बनाने वाले
शिव सदा ही संकट हरते
सबकी इच्छा पूरी करते

 

 

60.

जो शिव की महिमा को जानें
वो दुनियाँ दारी ना जानें
वो बातें बनाना ना जानें
जो शिवशंकर को पहचानें

 

61.

हे देवों के देव महादेव
कण -कण में है तुम्हारा नाम
सारी दुनियाँ तो बनायी है तुमने
पर विश्वनाथ में है तुम्हारा धाम

 

62.

भस्म रमाते हैं वो तन पर
ओढ़ते हैं बाघाम्बर छाला
खाते हैं शिव भाँग धतूरा
पीते हैं विष का वो प्याला 

 

63.
सत्, रज, तम गुणों को लेकर
शिव ब्रह्मनाद से प्रकट हुये
तीनों ही गुणों से मिलकर
तीन शूल थे जो त्रिशूल कहलाये

 

64.

एक हाथ में त्रिशूल
दूसरे में डमरू जिनके
बैल की इनकी सवारी
जगतपिता त्रिपुरारी

 

65.

शिव ही सृष्टि के दाता
शिव ही हैं संहारक
भक्तों के वो भाग्य विधाता
असुरों के वो हैं विनाशक

 

 

66.

त्रिलोकपति महादेव हैं
आदि, अनन्त और महान
पालनकर्ता जगत के
रचें विधि का वो विधान

 

67.

जीवन के तुम भाग्य विधाता
तुम्हारा सुमिरन सबको भाता
तीन लोक त्रिकाल के ज्ञाता
पार ब्रह्म परमेश्वर दाता

 

 

68.

जिनके संग हैं गौरा महारानी
गोद में विराजें गणपति ज्ञानी
शीश में धरे श्री गँग भवानी
अखिलेश्वर कहलाते हैं दानी

 

69.
पर्वतों में सजा जिनका दरबार
शिव में ही समाया सारा संसार
दया रखते हैं जो अपने भक्तों पर
वो ही हैं हम सबके पालनहार

 

70.

शिव स्वार्थ से परे हैं
परमार्थ से भरे हैं
जो हैं नाथों के नाथ
जग के हैं भोलेनाथ

 

71.
अपने भक्तों पर जो दया हैं रखते
जो सबके पालनहार
पर्वतों में सजता है जिनका दरबार
शिव की महिमा गाये सारा संसार

 

72.
तीनों लोक का संकट टाला
पी गये शिवजी विष का प्याला
जहर ने कंठ उनका नीला कर डाला
नीलकंठ नाम पड़ गया निराला

 

73.
सत्यम, शिवम, सुंदरम
शिव ही सत्य
शिव ही सुन्दर
सारी सृष्टि शिव के ही अन्दर

 

74.

नाथ अनाथों के नाथ शिव
शिव ही हैं संकट के नाशक
जिनका नाम देता है सहारा
पल में ही दुख दूर करे हमारा

 

75.

स्वामी तीनों लोक के
जगतपिता करतार
दया का द्वार जो खोलें
बेड़ा भी लगायें पार

 

76.
महादेव जी देते सीख
जीवन में कष्ट भी आयेंगे
पर वो अपने भक्तों के
दुख के बादल छांटते जायेंगे

 

77.

रौद्र रूप रखते हैं जब शिव
रूद्र कहे वो जाते
आनन्द रूप रखते हैं जब शिव
नटराज वो मन को भाते

 

78.

रौद्र और आनन्द तांडव
शिव शक्ति के हैं दो स्वरुप
क्रोध में रौद्र रूप हैं धरते
आनन्द में वो आनंदित रहते

 

79.

जहाँ शिव
नंदी वहाँ
नंदी जहाँ
शिव भी वहाँ

 

80.

शिव ऐसे हैं देव विशेष
मनमोहक,अनुपम, अतुलनीय
विष्णु जी के हैं वो प्रिय
और ब्रह्मा जी के परमप्रिय

 

81.
शिव ही प्रेम
शिव ही अनुराग
शिव हैं शब्दों के भण्डार
शिव ही हैं अर्थों के सार

 

82.

इस जगत में वही सुखी हैं
वही हैं किस्मत वाले
जिन प्राणियों के देवों के देव
महादेव रखवाले

 

 

83.
शक्ति से शिव
शिव से है शक्ति
शाश्वत प्रेम के ये आधार
अर्धनारिश्वर के ये अवतार

 

84.

करते माता -पिता की सेवा
गणपति जिनका नाम
शिव- पार्वती के जो लाल
विघनों के हैं काल

 

85.

शिव के परम साधक को
मृत्यु का रहे ना भय
शिव तत्व से मिलती भक्ति
शिव देते उनको शक्ति

 

86.
रूद्र रूप है उनका भयंकर
शांति रूप है मनभावन
जगत के वो आधार
निराकार और साकार

 

87.

धनी हों या हों निर्धन
सब भोले को लगते हैं प्रिय
भूले हुये को राह दिखाये
शिव का नाम अंधकार मिटाये

 

88.

भाव से या बिना भाव से
जल को चढ़ाते हैं जो शिव को
पल में शिव हर्षित हो जाते
फल देते हैं वो सबको

 

89.

वैभव की उनको चाह नहीं
वैरागी सा जीवन जीते
अमृत रस को छोड़कर
विष का पान वो करते

 

90.

शिव के ही रूप हैं
ब्रह्मा, विष्णु, महेश
पवित्रता, ज्ञान और शांति का
जो सबको देते सन्देश

 

91.

शिव ही पूजा
शिव ही शक्ति
शिव ही चेतन
शिव का ही वन्दन

 

92.

अमृत रस को जो पीयें
वो देव कहे जायें
हलाहल को जो पीयें
वो महादेव कहलायें

 

93.

शिव ही सर्वव्यापी
शिव में बसी है सृष्टि
शिव पाप -पुण्य से रहित
शिव जग को हैं समर्पित

 

94.
शिव -शक्ति के पूरक हैं
प्रेम इनका जग में प्रसिद्ध
शिव के हैं अनेकों रूप
प्रेम के हैं ये पूर्ण रूप

 

95.

कर्ता जो ना कर सके
शिव करें सो होय
तीनों लोक महाखंड में
शिव से बड़ा ना कोय

 

96.

काल तो अनेक
सिर्फ महाकाल एक
शक्तियाँ तो अनेक
शिवशक्ति सिर्फ एक

 

97.

संकट जिन पर आये
बन जाते उनकी ढाल
सब कालों के काल
सबसे बड़े महाकाल

 

98.
भस्म जो तन पर लगाते
नंदी की जो करते सवारी
जिनकी छवि सुखकारी
कहलाते त्रिपुरारी

 

99.
सत्य के साथ सदा शिव रहते
सदा सत्य बोलो शिव कहते
प्रेम सदा भक्तों से करते
हरपल शिव आनंदित रहते

उम्मीद करती हूँ कि भगवान शिव पर शायरी से आपको भक्ति की अनुभूति ज़रूर हुई होगी। Comment Section में मुझे ज़रूर बताएं कि कौन-सी शायरी आपको सबसे ज़्यादा पसंद आई।

Pushpa Pant