प्रकृति जो सुकून देती है, दुनियां में कोई भी दूसरी चीज़ से उसकी तुलना नहीं की जा सकती। ऐसे ही पहाड़ों की खूबसूरती पर शायरी का एक नायाब तोहफा यह ब्लॉग है। 

पहाड़ों पर अनमोल विचार अक्सर तब काम आते हैं, जब हम वादियों की मीठी यादों में खो जाते हैं।   

इसलिए मैंने इस संकलन में Nature Quotes के साथ-साथ पहाड़ की वादियों पर शायरी को शामिल किया है, जिन्हें आप कभी भी पढ़ सकते हैं।

पहाड़ों की खूबसूरती पर शायरी | Captions To Feel The RELIEF

आइए पहाड़ों की खूबसूरती पर कविताएं पढ़ना शुरू करते हैं –  

1.

सुकून का ही,

दूसरा नाम पहाड़।

 

2.

जड़ी बूटियों और औषधियों के गुणों का,

भरपूर ख़ज़ाना हैं पहाड़।

 

3.

पहाड़ों के घने,

खूबसूरत जंगल जैसे कुदरत की बनाई हुई

अनमोल संरचना।

 

4.

विपरीत परिस्थितियों में भी,

शांत और अडिग रहने का सन्देश

देते हैं पहाड़।

 

5.

अटल रहने का सन्देश तो,

सभी ने दिया परन्तु सिखाया

पहाड़ों ने है।

 

6.

धैर्य, संघर्ष और साहस की शिक्षा

देते पहाड़।

 

7.

पहाड़ प्रकृति के हैं करीब,

इसलिए यहाँ की हवाएं हैं शुद्ध।

 

8.

पहाड़ों की वादियों में ही,

बसती हैं सच्ची मुस्कानें।

 

9.

हरे-भरे जंगल से लगते,

पहाड़ों के सीढ़ीदार खेत।

 

10.

जन्नत जहाँ बसती है,

वो हैं पहाड़।

 

11.

अद्भुत दुनियाँ का,

प्यारा एहसास पहाड़।

 

12.

पहाड़ों में छाए हुए घनघोर बादल,

परिंदों की मधुर-मधुर सी चहचहाहट

नदियों की लहरें आवाज़ें करती हैं कलकल,

खुशियाँ ही खुशियाँ बसती हैं यहाँ हर पल।

 

13.

अपनेपन-सा अहसास कराते हैं,

पहाड़।

 

14.

शांत और स्थिर पहाड़,

मानों खुद में समेटे हुए

कई यादों और किस्सों को।

 

15.

चहचहाना पंछियों का,

सादगी भरे लोगों के चेहरे

देवभूमि यूँ ही नहीं कहते इन्हें,

भगवान भी यहाँ आकर हैं ठहरे।

 

16.

सावन ऋतु जब पहाड़ों में आती,

प्रकृति में हरियाली की चादर,

बिछने का आभास है कराती।

 

17.

पहाड़ों का संघर्षपूर्ण जीवन लेकिन,

स्वच्छ और स्वस्थ जीवन।

 

18.

गिरना, उठना

संभल कर चलना

टेड़े-मेड़े से रास्ते पहाड़ों के,

सिखाते हैं आगे बढ़ते रहना।

 

19.

काटे जाने की कई,

कोशिशों के बावजूद भी खड़े हैं

पहाड़।

 

20.

हमें बुलाते हैं बार-बार ये पहाड़,

छूने इनकी ऊँचाईयों को बार-बार।

 

21.

पहाड़ों की नैसर्गिक छटा,

सभी को अपनी ओर आकर्षित करती है।

 

22.

पहाड़ी लोग रोज़गार की तलाश में,

शहर जाते हैं और शहरी लोग

शुद्ध साँसें लेने पहाड़ आते हैं।

 

23.

पहाड़ हमें सीख देते हैं कि,

अगर ऊँचा उठना है तो

झुक कर चलना होगा।

 

24.

कुदरत के खूबसूरत,

प्राकृतिक नज़ारों का आनन्द

सिर्फ पहाड़ों में देखने को ही मिलता है।

 

25.

पहाड़ों के निवासियों का जीवन है तपस्या,

पहाड़ों पर रहना है एक विकट समस्या।

 

26.

पहाड़ में रहने वालों की,

मुश्किलें होती हैं पहाड़ों-सी

फिर भी मुस्कुराहटें हैं,

इनकी प्यारी-सी।

 

27.

ताज हैं जैसे प्रकृति का संसार,

खूबसूरत वादियों का

ठंडी हवाओं का मधुर एहसास पहाड़,

अपनेआप में होते हैं खास।

 

28.

पगडण्डियाँ पहाड़ों-सी,

पक्षियों की मधुर चहचहाहटें

बच्चों की खिलखिलाहटें,

मन में होती शांति की आहटें।

 

29.

पहाड़ हैं तो जंगल हैं,

जंगल हैं तो जीवन है।

 

30.

नदियों को जीवन देते,

पहाड़।

 

31.

प्रकृति की अनुभूति को,

पहाड़ों पर आकर ही

महसूस किया जा सकता है।

 

32.

पहाड़ों में लोगों के घर,

छोटे पर दिल बड़े होते हैं।

 

33.

पहाड़ों की सड़कें टेढ़ी- मेढ़ी पर,

लोग सीधे-सादे हैं।

 

34.

पर्यटक भी जब पहाड़ों में घूमते हैं तो,

खुश होकर वो झूमते हैं।

 

35.

पहाड़ों में मंज़िलें ही नहीं,

कुछ रास्ते भी खूबसूरती लिए होते हैं।

 

36. 

बर्फीली चोटियों पर सूरज की लाली,

पहाड़ की है हर बात निराली।

 

37.

जीवनदायिनी नदियाँ यहाँ बहतीं,

साल-ओ-साल हैं ऐसे ही

अनोखे यहाँ के गाँव और पहाड़ हैं।

 

38.

मंगल ध्वनियाँ गूँजतीं,

यहाँ सुबह और शाम 

पग-पग पर बसे हुए,

तीर्थ और स्वर्ग तुल्य चारों धाम।

 

39.

कण-कण में बसी,

भक्ति भावना ही कराती

देवभूमि की पहचान।

 

40.

पहाड़ों के टेढ़े-मेढ़े रास्ते,

मानों ये अल्पनायें हैं

प्रकृति के श्रृंगार की।

 

41.

पथिक जब थक कर रुक जाते,

पहाड़ों के चीड़ के पेड़

अपनी छाया से उनकी थकान मिटाते।

 

42.

पहाड़ की सुहानी हवाएं,

करती हैं मदहोश

पाँव जमीं पर न रहें,

भर देतीं इतना जोश।

 

43.

पहाड़ और पहाड़ की नारियाँ,

दोनों ही धन्य हैं

जो हर परिस्थिति में,

एक-दूसरे के संग हैं।

 

44.

प्रकृति सिखाती हमें,

जीने का सलीका

धूप हो या बरसात,

फूलों-सा खिलने का तरीका।

 

45.

बादलों के साये में,

पर्वतों के आँचल में

राहतें बसती हैं,

पहाड़ों की पनाहों में।

 

46.

पहाड़ की ओट से निकलता,

पहाड़ की ओट में ही छिपता

ऐसा लगता मानों पहाड़ के साये में ही सूरज,

खुद को महफूज समझता।

 

47.

सुदूर सुनसान से अकेले,

विशाल से ये पहाड़

आबादी के बीच शीश उठाते,

मानों अपनी व्यथा खुद सुनाते।

 

48.

पहाड़ महफ़ूज़ नहीं हैं,

अब उदंडी लोगों से।

 

49.

पहाडों के शांत,

वातावरण और प्रकृति के साथ

खुलकर जीना ही श्रेष्ठ जीवन है।

 

50.

बच्चों के भविष्य पर,

उग आती है खरपतवार

हर बार पहाड़ों में।

 

51.

सुकून की तलाश,

हर किसी को है पहाड़ों की वादियों से

पर कोई हमदर्द नहीं,

बनना चाहते पहाड़ों के।

 

52.

पहाड़ का दर्द है कि उसमें,

सूनापन गहरा है

हरा-भरा होकर भी पहाड़ अकेला है।

 

53.

पहाड़ी नारियों की कर्मठता से ही,

बंजर भूमि भी हरी-भरी सी है।

 

54.

बंजर भूमि में भी,

लाती हैं हरियाली

ये पहाड़ की नारी,

मेहनत से न डरने वाली।

 

55.

पहाड़ी नारियाँ कुछ नहीं चाहतीं,

सिवाय सहानुभूति के चंद शब्दों के।

 

56.

पहाड़ अपनेआप में हैं,

सबसे खास जहाँ मिले

ताज़गी का अहसास।

 

57.

हम पहाड़ों को करते प्रदूषित,

देते Plastic और कचरा

पहाड़ों के सौन्दर्य पर करते प्रहार,

कब तक रुकेगा ये अत्याचार।

 

58.

पहाड़ों की बातें हैं निरालीं,

ठंडी-ठंडी हवाएं ठंडा-ठंडा पानी

फलों, फूलों के पेडों पर ककड़ियाँ हैं लहराईं।

 

59.

देती हैं सुकून और शांति,

ये हरी-भरी फूलों की घाटियाँ

ये पहाड़ों की हसीन वादियाँ।

 

60.

हर तरफ शांति और सुकून,

खूबसूरत पहाड़ों की वादियाँ

हरे-भरे बुग्याल यहाँ,

फूलों की हैं घाटियाँ।

 

61.

पहाड़ों की खूबसूरती में,

नैसर्गिक सौंदर्य के साथ

ये देवताओं की भूमि कहलाती।

 

62.

विषम परिस्थितियों के,

बावजूद जुझारू हैं

पहाड़ के कर्मठ लोग।

 

63.

पहाड़ के लोग,

विषम परिस्थितियों में भी

दिव्य विभूतियों के रूप में,

पहाड़ों को जीवंत बनाए हुए हैं।

 

64.

पहाड़ों से मिलने वाले लाभों को,

नज़रअंदाज करना सही नहीं।

 

65.

पहाड़ों की गरिमा की,

जीवंतता अनिवार्य है।

 

66.

पहाड़ के लोग,

सही राह दिखाने वाले

छल कपट से दूर।

 

67.

ऋषि मुनियों की तपोभूमि हैं पहाड़,

यूँ ही नहीं कहते इसे देवभूमि।

 

68.

विकट परिस्थितियों में भी दूर जाकर,

अजीविका के लिए संघर्ष करने के कारण ही

पहाड़ी लोगों का जीवन एक तपस्या है।

 

69.

पहाड़ों को देवताओं का वास कहा गया है और देवता,

सहजता से प्राप्त नहीं होते।

 

70.

जो हिम्मत कभी न हारी है,

ये पहाड़ की ही नारी है।

 

71.

अपना दुःख दर्द सबसे हैं छिपाती,

ये पहाड़ की नारियाँ हँसते हुए

बाधाओं को पार कर जाती।

 

72.

पहाड़ एक,

रंग इसके अनेक।

 

73.

खूबसूरत वादियाँ करती,

खामोशी का शोर।

 

74.

पहाड़ों की वादियों में,

मुस्कानें हैं बसती

थकावटें मिटती।

 

75.

पहाड़ों के झरने खूबसूरती लिए होते हैं,

शांत होकर बहते हुए बहुत कुछ कहते हैं।

 

76.

अगर हम ढूंढ़ना चाहें तो,

प्रकृति की गोद में बेशुमार ख़ज़ाना है।

 

77.

पहाड़ों की महिलायें ऊँची पहाड़ियों,

विशाल वृक्षों में निडर होकर

घास और लकड़ीयाँ काटतीं हैं क्योंकि वो,

खतरों से खेलने का हुनर जानती हैं।

 

78.

प्राकृतिक स्रोतों का पानी,

सीढ़ीनुमा खेत

दूर तक जाती पगडण्डियाँ यही होतीं हैं,

पहाड़ की विशेषतायें।

 

79.

पहाड़ों की हंसी वादियाँ जहाँ फैली है चारों ओर हरियाली और होते हैं प्रकृति के अद्भुत नजारे।

 

80.

शहरों की हवाओं में प्रदूषण और बीमारियाँ पर पहाड़ों में आज भी हैं शुद्ध हवायें।

 

81.

भले ही सुख सुविधाओं से वंचित हैं पहाड़ पर सुकून के पल आज भी तुम्हें देंगे पहाड़।

 

82.

वो कभी रास्ते नहीं भटकते जिन्होंने सीखा है पहाड़ों पर चलना।

 

83.

पहाड़ों और पहाड़ीयों की चाय की बात है खाश।

 

84.

पहाड़ की जवानियाँ देतीं हैं देश के लिये कुर्बानियाँ।

 

85.

पहाड़ों में प्राकृतिक सुन्दरता बसती है बनावटी नहीं।

 

86.

कंक्रीट के घने जंगल अब बनते जा रहे हैं पहाड़ पर फिर भी बचायी है इन्होंने अपनी संस्कृति और संस्कार।

 

87.

पहाड़ों की छोटी -छोटी नदियाँ जिन्हें कहते हैं गधेरे
इन्हें पहाड़ी करते हैं पार सवेरे -सवेरे।

 

88.

झील की पनाहों में
बादलों के साये में
बसती राहतें यहाँ
पर्वत हैं जहाँ।

 

89.

पहाड़ों को चुनौती देती हैं पहाडों की उद्यमी महिलायें।

 

90.

सबके जीवन में रँगों को भरना हमें प्रकृति के फूल सिखाते हैं।

 

91.

पहाड़ों की खूबसूरत वादियाँ और पहाड़ रोक लेते हैं पर्यटकों को यहाँ बार -बार।

 

92.

जीवन जीने की सीख पहाड़ों से ही मिलती है आसमान की ऊँचाईयों को छूँकर भी जमीं से जुड़े रहना।

 

93.

ना थकती हैं ना रूकती हैं भोर होते ही ये
पहाड़ की नारियाँ अपने कामों पर निकलती हैं।

 

94.

पहाड़ के निवासी अपनी संस्कृति का आन, मान और शान रखते हैं।

 

95.

कुमाऊंनी भाषा बड़ी प्यारी है
मिठास इस भाषा में है रचती
भाषा ये इनकी पहचान है
जिसमें माँ सरस्वती हैं बसती।

 

96.

पहाड़ के लोग पहाड़ जैसा दिल रखते हैं तभी पहाड़ में रह पाते हैं।

 

97.

पहाड़ के लोग सादा और पौस्टिक भोजन करते क्यूंकि वो बेहद मेहनत कश होते हैं।

 

98.

पहाड़ के मकानों सी बेहतरीन नक्कासियाँ और कहीं देखने को नहीं मिलतीं।

 

99.

पहाड़ में जब घर के बच्चे रोजी- रोटी की तलाश में बड़े शहरों को पलायन करते हैं तो घर के सदस्यों की नजरें उनके वापस आने की राह तकती हैंl

उम्मीद करती हूँ कि पहाड़ों की खूबसूरती पर शायरी से आपकी कोई याद ज़रूर ताज़ा हुई होगी। Comment Section में मुझे ज़रूर बताएं कि कौन-सी शायरी आपको सबसे ज़्यादा पसंद आई।

Pushpa Pant