अन्याय के खिलाफ शायरी, हर उस इंसान के लिए है जो इस दर्द से गुज़र रहा है और बाहर निकलना चाहता है।  

अक्सर लोग जुल्म के खिलाफ शायरी पढ़ते तो हैं लेकिन उनसे सीख लेकर उसके खिलाफ कोई कदम नहीं उठाते। 

अगर आप भी उन्हीं में से एक है, जो इस समस्या से जूझ रहे हैं तो बिलकुल परेशां न हो। मेरे इस संकलन में भ्रष्टाचार के खिलाफ शायरी शामिल है, जो आपको आगे बढ़ने की हिम्मत देंगीं।

अन्याय के खिलाफ शायरी | Quotes To Keep You INSPIRE

आइए अन्याय के खिलाफ status पढ़ना शुरू करते हैं –

1.

ये कैसे नियम में बांध कर रख दिया,

मालकिन तो कहा पर अधिकार न दिया।

 

2.

मकान को घर बनाने में,

सहयोगी होकर भी

नौकरानी से ऊपर न,

उठ पाई कुछ स्त्रियां।

 

3.

कभी धर्म कभी मज़हब के नाम पर,

दांव पर लगीं

जब मन का न हुआ तो,

बलि दे दी गईं कुछ स्त्रियां।

 

4.

जब हर तरह के,

शस्त्र से हार जाते हैं लोग तो

स्त्री चरित्र पर,

कीचड़ उछालते हैं लोग।

 

5.

सिसकते हुए हिचकियाँ,

बंधने लगी रात में

घरवाले सोच रहे,

बड़ी सुकून से होगी उनकी बेटी।

 

6.

वो जो बाहर खड़ा शत्रु है,

उससे तो लड़ भी लें

पर इज़्ज़त को तार-तार कर दें,

घर के पिशाच से कैसे लड़े।

 

7.

पिता की संपत्ति में,

अधिकार तो मिल गया लेकिन

परायेपन का बोध,

अब भी सीने से लगा हुआ है।

 

8.

कुछ सिसकियां क़ैद हो जाती हैं,

घर के किसी कोने में

हर बार इज़्ज़त को उछालने वाला,

बाहर का नहीं होता।

 

9.

एक औरत टूट जाती,

उस समय पर

जिसे सब माना वो ही,

जब उस पर लांछन लगाता है।

 

10.

एक स्त्री की सबसे बड़ी विरोधी,

वो स्त्री ही है जिसने उसके दर्द की

कीमत सबके बीच लगाई हो।

 

11.

आधी से ज़्यादा समस्याएं,

उसी वक़्त सुलझ जाएं

यदि हर स्त्री अपने,

साथ वाली स्त्री का साथ देने लगे।

 

12.

भ्रूण में मारकर,

ख़ुद को इंसान बताते हैं जो लोग

वो अपनी औरत बीमार हो तो,

Lady Docter खोजते हैं।

 

13.

जब फंसी हो कोई महिला,

बुरे वक्त की खाई में तो

वो डोर बनना जिसे थाम कर वो बाहर आ सके।

 

14.

ये रिवाज़ है समाज का,

महिलाओं को लड़ाने का

उन्हें परेशान होता देख,

उन पर हँसी उड़ाने का।

 

15.

हम महिलाएं एक दूजे के,

पैर को पीछे न खींचे तो

एक हाथ से हाथ थामकर,

बहुत कुछ कर सकते हैं।

 

16.

समाज की बागडोर होती है,

महिलाओं के हाथों में

बस वो ख़ुद चुनती हैं,

समाज के अधिकार में रहना।

 

17.

एक अरसे से रही हो,

बंधन में इस समाज के

अब जो दहलीज़ पार की तो,

नाम कमा के ही लौटना।

 

18.

बिकते हैं तेज़ाब सारे बाज़ार में,

जैसे कोई दवा हो

सुंदरता की कीमत,

कितनी महँगी चुकानी पड़ती है।

 

19.

अख़बार उठा के रोज़,

देखती हूँ हाल शहर के

किसी रोज़ तो ख़बर,

बिना बलात्कार की होगी।

 

20.

एक बार प्रेमवश निर्णय लिया,

पुरुष से पीछे चलने का

समाज ने उसे स्त्री की,

नियति ही बना डाली।

 

21.

चारदीवारी में किसे रहना है,

ये कुदरत ने नहीं रचा लेकिन

सभ्यता के नाम पर,

दहलीज़ औरतों के नाम की गई

 

22. 

किसी की पत्नी, किसी की बहू,

किसी की माँ से ज़्यादा

ज़रूरी है किसी स्त्री का,

केवल स्त्री बने रहना।

 

23.

अपने हक की बात करने पर,

बेशर्म करार दी जाती है

सहती रहे जो हर पल वो,

घर की शान कही जाती है।

 

24.

सहती रहें कब तक उसकी सजा,

जो गुनाह कभी किया ही नहीं

औरत होना सरल तो है

ये कहने वालों ने कभी ये जीवन जिया ही नहीं।

 

25.

कभी दुपट्टे कभी आँचल से छुपाती रही,

मर्दों को नज़र से वो ख़ुद को बचाती रही।

 

26.

खरगोश के बच्चे-सी हैं लड़कियों की ज़िन्दगी,

भेड़िये-सा ज़माना हर वक़्त आँखे गड़ाए बैठा है।

 

27.

कितना बचायें लड़कियों को ज़माने की नज़रों से,

हर आंखे नाप रही है कपड़ो की लंबाई को।

 

28.

कह देना आसान है कि जीवन सरल है,

नारी का मोम-सा दिल रखकर

तन को मजबूत बनाना पड़ता है।

 

29.

न पड़ो चक्कर मे अभी तुम इश्क़ मुहब्बत के,

बाप के सिर की पगड़ी हो

पढ़ो लिखो और आगे बढ़ो।

 

30.

कभी साड़ी कभी दुप्पट्टे खुद को छिपाती रही,

एक नारी इसके बाद भी बेहया कहलाती रही।

 

31.

बदली ना सोच माने की बदल दिया गया,

Calendar पुराना अपनी बेटी सबको लगे प्यारी

दूसरे की बेटी से जले माना

 

32.

उठो देश की वीर नारियों,

उठाओ अपने हिस्से की तलवार

जो देखता तुम्हें बुरी नज़रों से,

उस पर करो अंतिम प्रहार

 

33.

 देती हूं आशीष तुम्हें खड़े होकर तुम्हारे ही अंगना,

तुम नहीं डरना किसी से कि तुम हो एक वीरांगना

 

34.

मां ने कहा कि भाई को ज़रुरत है पोषण की,

सास ने कहा पति को ज़रुरत है पोषण की

हर बार ये सोचकर अपनी थाली की रोटी सरका दी,

ज़रुरत उन्हें ही है ज़्यादा पोषित रहने की।

 

35.

दान दहेज देंकर बेच दी गई बेटियां,

फिर कह दिया कि रहमत होती है बेटियां

 

36.

बेटे के होने के खुशियां मनाई,

बेटी के होने पर उदास था मन

बोलते रहे फिर भी धरती को,

माता जिससे उपजता रहा हर धन।

 

37.

 तुम तो कहते थे कि रात में निकलने न दो बाहर वहशी दरिंदे हैं,

फिर वो कौन लोग हैं जो भरी दुपहरी में भी हमारे पीछे पड़े हैं।

 

38.

 तुम जानते हो क्या कि डर किसे कहते हैं,

कभी देखना गौर से किसी अकेली लड़की की आंखों में।

 

39.

सिखाया गया लड़कियों को अदब से बोलना सभी के सामने,

त्याग की बात सिखा कर हक मांगने का हक भी छीन लिया।

 

40.

कुछ भेड़िये तलाशते रहते हैं रोज़ किसी शिकार को,

मानवीय समाज में आंखों को गौर से देखना ज़रूरी है।

 

41.

 इस आस में देखती हूँ रोज अख़बार एक नज़र,

कभी तो होगी बिना महिला अत्याचार की ख़बर।

 

42.

हर चुनाव में होती है महिला सुरक्षा की बातें,

जीतने के बाद खो जाती हैं जैसे दिन के बाद रातें।

 

43.

शादी की उम्र कर दी गई है लड़कियों की इक्कीस,

ये देखकर रूढ़िवादियों के मन में उठ रही है टीस।

 

44. 

कुछ की सोच तो कपड़ों की नाप से भी छोटी है,

जो कहते हैं ये कौन-सी उनकी अपनी बेटी है।

 

45.

घर के कोने में सुबकती हुई आती है एक आवाज़,

अधिकार पाने की ललक में सिसक रही है आज।

 

46.

एक लड़की जल गई है दहेज की आग में,

समाज अब भी तलाश रहा है कमी लाश में।

 

47.

नहीं बोल पाती हर लड़की अपने पर हुए ज़ुल्म पर,

जिसने बोला है उन्हें भी इंसाफ न मिला वक़्त पर

 

48.

किससे मिली, कैसे हुआ, कैसा लगा, क्यू गई थी,

ये सवाल पूछे गए एक बलात्कार हुई लड़की से

आरोपी चुप होकर कुटिल मुस्कान से झांक रहा था,

ये देख लड़की को भी लगा कि गलती उसकी ही थी

 

49.

नियम बनते गए हर समुदाय का मान रखते हुए,

काश लड़कियों के हिस्से के नियम उनसे पूछे जाते।

 

50.

बेटों के होने के लालच में पैदा करते गए बेटियां,

अब कहते हो खिलाने को नहीं है इन्हें रोटियां।

 

51.

धर्म जाति के चश्में से देख रहे हर अपमान को,

कहते हो लड़कियों के लिए सम्मान है हर जगह।

 

52.

कभी छिपाया औरत को घूंघट में,

कभी छिपाया हिज़ाब में

वो करते रहे तार-तार इज़्ज़त को,

छिपकर समाज के नक़ाब में।

 

53.

घर को सम्भालने की ज़िम्मेदारियों में भूल ही गई,

घर के Name Plate पर भी नाम उसका भी होना था।

 

54.

हां, ये सही है कि बच्चे याद करें,

माँ के हाथ के बने खाने का स्वाद पर

वो याद करें आपके संघर्षों को भी तो,

ज़रूरी है निभाना ख़ुद का साथ।

 

55.

तलाकशुदा बेटी से ज़माना लाख चिढ़े लेकिन,

मरी हुई बेटी पर आँसू केवल माँ बाप ही बहाते हैं।

 

56.

जब पति काम करता है घर का तो,

पत्नी किस्मत वाली कही जाती है

पति बन जाता है बुरी किस्मत का,

जब पत्नी ज़्यादा कमाने लगती है।

 

57.

बेटी का हाथ किसी के हाथ में देने से पहले,

जरूर निर्धारित कर लेना कि बेटी अपने पैरों पर खड़ी हो।

 

58.

शादी में खरीदें गए साड़ी, कपड़े, गहने

सब कुछ उस लड़की के पसन्द के

जब बात सपनों को चुनने को आई तो,

ससुराल वालों को अधिकार सौंप दिया।

 

59. 

चिड़िया बना कर रखा मगर आसमां न दिया,

जब पंख हुए मज़बूत तो पिजड़े में क़ैद कर दिया।

 

60.

प्रकृति से तुलना होती रही है स्त्रियों की लेकिन,

बनी वो केवल पत्थर की मूरत ही ।

 

61.

ज़रूरत नहीं है तुम्हें अपनी कोख से जनने की,

तुम्हारा स्त्री के रुप में जन्म लेना ही काफी है।

 

62.

कब तक किसी के कहने से ही चलती रहोगी,

ईश्वर की रचना हो तुम अपना भविष्य ख़ुद लिखोगी।

 

63.

कानून तो बन गए कई निभा न सका कोई,

मान्यताओं की बेड़ियों में जकड़ा है हर कोई।

 

64.

तुम्हारे पँख हैं किताबें,

शिक्षा तुम्हारा आसमान

समाज की और न देखो,

भरो अपनी ऊंची उड़ान।

 

65.

लड़कियों तुम्हें वो बर्गलायेंगे,

लेकर धर्म, जाति का नाम

तुम रहना अडिग अपने पर,

झुकने न देना अपना आत्मसम्मान

 

66.

जन्म ले लिया उन्होंने तो,

जीना भी सीख लेंगी

उनका आसमां मिलने दो,

उड़ना भी सीख लेंगी।

 

67.

उसे केवल आज्ञा ही नहीं,

अधिकार भी चाहिए

स्त्री को केवल नाम नहीं,

मान सम्मान भी चाहिए

 

68.

महिला सशक्तिकरण का नारा,

लिखा था अखबार में

उसी पन्ने के कोने में,

बिकी थी इज़्ज़त सरे बाज़ार में।

 

69.

 टूट कर बिखरी वो,

टूटी हो कोई माला जैसे

जब कलम की जगह,

शादी के रिवाज़ ने ले ली।

 

70.

ज़्यादा पढ़ेगी तो,

हाँथ से निकल जायेगी लड़की

ये जो कहते थे अब,

उस अफसर बेटी के गुण गाते हैं।

 

71.

तन, मन, धन से इतना,

मज़बूत कर दो लाडली को कि

कोई भी छू न पाए,

आपकी नन्हीं-सी कली को।

 

72.

 सुनाओ न उन्हें बचपन में परियों की कहानियां,

वो बनेगी वीरांगनाएं उन्हें बताओ वीरों की कहानियां।

 

73.

रसोई संभालो पर भूलों न,

अपने ख़ुद के अधिकार

फीका अगर भोजन हो,

कुछ नहीं कर सकता है अचार।

 

74.

पढ़ सको तो पढ़ लो,

कभी कानून की किताबें ताकि

ज़रूरत पड़ने पर,

अपनी वकील बन सको।

 

75.

रहना न तुम पर्दे के पीछे,

मुख्य भूमिका निभाना

किसी के बहकावे में आकर,

अपना किरदार न भुलाना।

 

76.

वो लड़की है ना,

इसलिये उसका Promotion हुआ है

ये कहकर उसकी समझदारी पर,

प्रश्नचिन्ह लगा दिया गया।।

 

77.

पति कमाता है तो,

पत्नी को कमाने की क्या ज़रूरत

ये कहकर एक औरत के स्वालम्बी होने का,

अधिकार छीन लेते हैं।

 

78.

अपने घर की बेटियों पर,

घर के अंदर भी नज़र रखो

ज़रूरी नहीं कि उसकी अस्मत पर,

हाँथ डालने वाला बाहर का हो

 

79.

आज घर की Name Plate पर,

अपना नाम देखकर उसकी आंखें छलक पड़ी

जीवन भर जिस स्त्री को,

किसी और के नाम से पुकारा जाता रहा था

 

80.

परियों और तितलियों से न तुलना करो हमारी,

हम पंखों के भरोसे नहीं

अपनी इच्छाशक्ति के भरोसे उड़ान भरते हैं।

 

81.

मुहब्बत, भावनाएं ये एक अनछुआ अंग है लड़कियों का,

इनसे आहत हुई लड़कियां तलवारों से बात किया करती हैं।

 

82.

 दिल टूटने पर शराब सिगरेट नहीं उठाती हैं लड़कियां,

वो जुट जाती हैं अपना नया हुनर तलाशने ख़ुद को तराशने के लिए।

 

83.

लड़कियों को पर्दों में रहने की शिक्षा देने वालों,

कभी लड़कों को भी तो नज़र झुका लेने की सीख दो।

 

84.

प्रकृति ने कभी भेद न किया लड़की और लड़के में,

समाज ने जब चाहा तब अपने हिसाब से चलाया है।

 

85.

दिल में भरे प्यार बेशुमार रखना पर,

आंखों में स्वाभिमान बरकरार रखना

लड़कियों ये दुनिया प्यार करने वालों से ज़्यादा,

स्वाभिमान वालों को याद रखती है।

 

86.

कपड़ों के अनुसार चरित्र का आंकलन न कीजिये,

जब Rape हुआ उसका तो वो महज 4 साल की थी।

 

87. 

इतना भी न क्रूर बन जाओ कि,

चंद मर्दों की वजह से

औरतें सब पर भरोसा करना छोड़ दें।

 

88.

जहां किसी नारी के साथ गलत होता देखो,

नज़रें मत चुराओ

एकता से बंधकर बुलंद आवाज़ उठाओ।

 

89.

महिलाएं को नहीं समझो तुम कमज़ोर,

हर तरफ है अब इसका ही ज़ोर।

 

90.

बेटियां को भी आत्मनिर्भर बनाओ,

उन्हें उच्च से उच्च शिक्षा दिलाओ।

 

91.

कमज़ोर जो नारी को है समझते,

असल में तो वह खुद है डरपोक होते।

उम्मीद करती हूँ कि अन्याय के खिलाफ शायरी से आपको उसके खिलाफ खड़ा होने की हिम्मत मिलेगी। Comment Section में मुझे ज़रूर बताएं कि कौन-सी शायरी आपको सबसे ज़्यादा पसंद आई।

Ranjana Singh